IAS GK Quesion : वह कौन सी चीज है जिसके नाम में हम हमेशा जी लगाते है? : दोस्तो क्या आपको इस
सवाल का उत्तर पता है तो आप हमें नीचे दिये कंमेट में उत्तर जरूर बताये अगर आप इस प्रश्न का उत्तर
जानना चाहते है तो आपको हम इस लेख के अन्त तक बता दूगाँ अतः आप इस लेख को सरसरी नजर से अवश्य
पढे मेरा सवाल है कि वह कौन सी चीज है जिसके नाम में हम हमेशा जी लगाते है? दोस्तो कुछ प्रश्न ऐसे होते
है जो केवल इंटरव्यू के परीक्षा में ही पूछे जाते है तथा कुछ प्रश्न का उत्तर हमको जानना भी बेहद जरूरी होती है
अतः आपको इस सवाल का उत्तर जरूर मिल जाएगा अगर आप किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगे
हुए है तो आप सभी के लिए हमारे इस लेख में बहुत ही महत्वपूर्ण लेख पर चर्चा करने वाले है जो हर एक
प्रतियोगी परीक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण हो सकते है ।
IAS GK Question : वह कौन सी चीज है जिसके नाम में हम हमेशा जी लगाते है?
होमरूल लीग आन्दोलन (Home Rule League Movement)-1916
आइये जानते है हम सभी होमरूल लींग आन्दोलन के बारे में – 28 अप्रैल 1916 ई. को बाल गंगाधर
तिलक ने पूना में इण्डियन होमरूल लीग की स्थापना की सितम्बर 1916 ई. में एनी बेसेंट ने मद्रास में
होमरूल लीग की स्थापना की । एनी बेसेन्ट की होमरूल लीग से जुड़ने वाले राष्ट्रवादियों में मोतीलाल
नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, खलीकुज्जमा ,तेज बहादूर सप्रू, सी.वाई, चितामंणि, सी.पी. रामास्वामी
अय्यर, सुब्रह्राण्यम अय्यर हसन इमाम एवं मजहरूल हक आदि प्रमुख थे । एनी बेसेंट ने 1914 में
कॉमन वील नामक पत्रिका तथा न्यू इण्डिया नामक दैनिक पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ किया और इसके
माध्यम से आन्दोलन छोड दिया जिसका समर्थन बाल गंगाधर तिलक ने भी किया । तिलक ने मराठा
एवं केसरी तथा एनी बेसेंट ने अपने पत्रों कॉमनवील, न्यू इण्डिया तथा यंग इण्डिया (बम्बई) के माध्यम
से होमरूल का व्यापक प्राचर किया । होमरूल आन्दोलन भारत में संवैधानिक तरीके से स्वशासन की
माँग को लेकर चलाया गया था एनी बेसेंट ने 20 अगस्त 1917 को होमरूल लीग समाप्त कर दिया ।
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लखनऊ समझौता (Lucknow Pact -1916 ई.)
इसे भी जाने – 1915 ई. में मुहम्मद अली जिन्ना के प्रयास से बम्बई में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के
अधिवेशन साथ साथ हुए । दोनों संगठन पारस्परिक सहयोग द्वारा देश में संवैधानिक सुधार की
योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने हेतु सरकार पर दबाव बनाने की नीति अपनाने पर सहमत
हुए । उर्युक्त काँग्रेस – लीग समझौता को लखनऊ समझौता कहा गया । 1916 ई. के लखनऊ
अधिवेशन में बाल गंगाधर तिलक के प्रयासों से कांग्रेस के दोनों दल एक हो गये । लखनऊ अधिवेशन
की अध्यक्षता अबिकाचरण मजूमदार ने किया । कांग्रेस ने पहली बार साम्प्रादायिक निर्वाचन को
स्वीकार किया । अब कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग के बीच अगले 3-4 वर्षों के लिए एकता स्थापित हो गई । वह कौन सी चीज है जिसके नाम में हम हमेशा जी लगाते है?
क्या आपको पता है – आग बुझाने के लिए प्रयुक्त की जाने वाली गैस है
मुस्लिम लीग की स्थापना (Foundation of Muslim League)
क्या आप जानते है – बंगाल विभाजन ने हिन्दू और मुसलमानों के बीच साम्प्रादायिक द्वेष उत्पन्न
करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । 1882 ई. में दयानन्द सरस्वती ने गोरक्षिणी सभाओं का गठन
किया , तब से 1895 ई. तक पश्चिमी भारत में अनेक दंगे हुए । कांग्रेस के कई सदस्य गोरक्षिणी
सभाओ के सदस्य थे जिनको अनुशासित करने में कांग्रेस विफल रही तथा कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष छवि
को धक्का पहुचा । मुसलमानों के शिष्ट मण्डल ने वायसराय लॉर्ड मिऩ्टो से मुसलमानों के लिए पृथक
निर्वाचन व्यवस्था का मांग की । 30 दिसम्बर 1906 ई. को ढाका में नवाब सलीमुल्ला के नेतृत्व में
मुस्लिम लीग की स्थापना हुई । मुस्लिम लीग के प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता वकार – उल-मुल्क ने
की । 1908 ई. में मुस्लिम लीग का पहला स्थाई अध्यक्ष आगा खाँ को बनाया गया तथा इसी वर्ष
अलीगढ़ में एक 40 सदस्यीय केन्द्रीय समिति की स्थापना हुई ।
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काँग्रेस का बनारस अधिवेशन (Banaras Convention of Congress – 1905 ई.)
बनारस अधिवेशन में प्रिंस ऑफ वेल्स के 1906 ई. में सम्भावित भारत आगमन से सम्बन्धित एक
प्रस्ताव को उग्रवादियों के विरोध के बावजूद उदारवादियों ने पारित करा लिया । तिलक द्वारा
प्रस्तावित सरकार के निष्क्रिय प्रतिरोध का प्रस्ताव पारित न हो सका । इस स्थिति में उग्रवादियों ने
पंडाल के अन्दर ही अलग से एक सभा की अतः उग्रवादी गरम दल का निर्माण बनारस अधिवेशन से
ही माना जाना चाहिए ।
सूरत फूट (Surat Split – 1907)
सूरत फूट – राष्ट्रीय आन्दोलन की उग्रता के साथ – साथ कांग्रेस के उदारवादी नेताओं और उग्रवादी नेताओं के
बीच मतभेद व्यापक होते जा रहे थे , जिसके परिणामस्वरूप 1907 ई. के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सूरत
अधिवेशन में कांग्रेस उदारवादी एवं उग्रवादी दो गुटों में विभाजित हो गई । उदारवादियों (नरम दल) का नेतृत्व
गोपाल कृष्ण गोखले ने किया तथा उग्रवादियों (गरम दल) का नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक ने किया । ऐनी बेसेंट
ने इसे कांग्रेस के इतिहास में सबसे दुख-दायी घटना बताया । मॉर्ले मिन्टो सुधार ( Morley-Minto Reforms
-1909 ई,) तत्कालीन वायसराय लॉर्ड मिन्टो तथा मॉर्ले ने उदारवादियों को पुचकारने एवं हिन्दू मुस्लिम
सम्बन्धों में कूटता उत्पन्न करने के उद्देश्य से इण्डिया काउसिंल एक्ट – 1919 पारित कराया । इस एक्ट के
द्वारा प्रान्तीय विधान मण्डलों के आकार एवं शक्ति में दिखावटी वृद्धि की गई तुरन्त व्यावहारिक रूप से कोई
शक्ति नहीं दी गई । 1909 ई. में पहली बार साम्प्रदायिक निर्वाचन प्रणाली आरम्भ हुई तथा मुसलमानों के लिए
पृथक निर्वाचन क्षेत्र एवं प्रतिनिधित्व की व्यवस्था की गई ।
दिल्ली दरबार (Delhi Darbar – 1911 ई.)
ब्रिटिश सम्राट जार्ज पंचग तथा मेरी के स्वागत के लिए 1911 ई. में दिल्ली दरबार का आयोजन
वायसराय लॉर्ड हार्डिंग द्वारा किया गया । दिल्ली दरबार में ही लॉर्ड हार्डिंग ने बंगाल विभाजन को रद्द
करते हुए एक नवीन प्रान्त बिहार के गठन की घोषणा की जिसमें बिहार एवं उड़ीसा शामिल थे । बिहार
पूर्ण रुपेण 1912 ई. में ही अस्तित्व में आ पाया । बंग्ला भाषियों के लिए दोनों बंगालों को मिलाकर एक
बंगाल प्रान्त अस्तित्व में आया । दिल्ली दरबार में लॉर्ड हार्डिंग ने भारत की राजधानी कलकत्ता से
दिल्ली ले जाने की घोषणा की थी ।
मेरा सवाल – वह कौन सी चीज है जिसके नाम में हम हमेशा जी लगाते है?
सही जवाब – सब्जी , फौजी , पारले जी
सही उत्तर बतायो – किस जानवर का दूध गुलाबी रंग का होता है