मुगल साम्राज्य का पतन PDF

नमस्कार दोस्तो आज के टॉफिक आधुनिक भारत के इतिहास से मुगल साम्राज्य का पतन PDF  के बारे में जानगे तथा इससे सम्बन्धित

महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर भी जानगे इस अध्याय से भी प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते है  तो आइये जानते है।

मुगल साम्राज्य का पतन PDF

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जहाँदारशाह ने जयसिंह को मिर्जा राजा की उपाधि दी थी।

जहाँदारशाह ने मारवाड़ के शासक अजीत सिंह को महाराजा की पदवी प्रदान की थी।

फर्रूखसियार को मुगल वंश का घृणित कायर कहा गया है।

फर्रूखसियार ने 1716 . में बंदा बहादूर को फांसी दी थी।

मुहम्मदशाह तख्ते ताऊस पर बैठने वाला अंतिम मुगल बादशाह था ।

रफी-उद –दौला ने शाहजहाँ द्तीय की उपाधि धारण की थी। Fall of the Mughal Empire PDF

मुहम्मदशाह ने शासनकाल में 1748 ई. में अहमदशाह अब्दाली ने भारत पर पहला आक्रमण किया तथा मनुपुर के युद्ध में पराजित होकर लौट गया ।

औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् उसके तीन पुत्रों मुअज्जम, आजम और कामबख्श में उत्तराधिकार का युद्ध हुआ ।

मुहम्मद मुअज्जम बहादूरशाह प्रथम की उपाधि धारण कर मुगल सिंहासन पर बैठा ।

बहादूरशाह प्रथम ने औरंगजेब द्वारा लगाए गए जजिया कर को समाप्त कर दिया ।

बहादूरशाह की मृत्यु के पश्चात जहाँदर शाह, जुल्फिकार खाँ की सहायता से मुगल सम्राट बना ।

जहाँदरशाह को लम्पट मूर्ख भी कहा जाता है ।

जहाँदरशाह ने अपने शासन में लालकुंवरि नामक वेश्या को हस्तक्षेप करने की अनुमति दे रखी थी।

मुहम्मदशाह के शासनकाल में फारस के शासक नादिरशाह ने 1739 ई. में दिल्ली पर आक्रमण किया था।

अंतिम मुगल बादशाह बहादूरशाह द्तीय का उपनाम जफर था।

1857 ई. के विद्रोह में भाग लेने के कारण अंग्रेजों द्वारा बहादूरशाह जफर को बंदी बनाकर रंगून भेज दिया गया ।

बहादूरशाह जफर की मृत्यु 1862 ई. में रंगून में हो गई थी।

पानीपत का तृतीय युद्ध अहमदशाह अब्दाली और मराठों के बीच हुआ , जिसमें मराठे  पराजित हुए।

प्लासी के युद्ध के समय मुगल सम्राट आलमगीर द्तीय था।

हुसैन अली खां की हत्या तुरानी सैनिक हैदरकुल खाँ ने अक्टूर, 1720 में करावा  दी।

13 फरवरी, 1739 को करनार का युद्ध हुआ , जिसमें मुगल सेना पराजित हुई ।

सैयद बंधु हुसैन अली बरहा और अब्दुल्ला खाँ को मुगलकालीन इतिहास के शासक निर्माता के रूप में जाना जाता है।

जहाँदरशाह ने अपने शासक अजीत सिंह को महाराजा की पदवी प्रदान की थी।

पेशवा बाजीराव द्तीय को अंग्रेजों ने आठ लाख रूपये प्रति वर्ष पेंशन देकर कानपुर के बिठूर में भेज दिया ।

शाहआलम द्तीय ने क्लाइव को बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी प्रदान की ।

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