विश्व की प्राचीन सभ्यताएं PDF (Ancient Civilizations of the World) लगभग 5000 ई. पूर्व दजला
और फरात नदियों की घाटी ( आधुनिक इराक का क्षेत्र) में एक श्रेष्ठ एवं समृद्ध सभ्यता का उदय हुआ, इसे
मेसोपोटामिया का सभ्यता कहते है । इस सभ्यता का जानकारी 19 वीं शताब्दी के मध्य में सर्वप्रथम हिन्स्क एवं ओपर्ट
ने प्रदान की मेसोपोटामिया का शब्दिक अर्थ है नदियों की बीच की भूमि होता है । प्राचीन काल में इसे सुदूर दक्षिण भाग
में सुमेर स्थित था, जो कि मेसोपोटामिया सभ्यता का प्रथम मुख्य केन्द्र था । मेसोपाटामिया सभ्यता के उत्खनन से
कई महत्वपूर्ण प्राचीन नगरों, जैसे किश, सूशा, उर, बेबीलोन एवं निनन्हवे आदि के अस्तित्व का पता चला ।
मोसोपोटामिया सभ्यता के देव – मन्दिर जिग्गुरत कहलाते थे । जिसका अर्थ स्वर्ग की पहाड़ी होता है । मेसोपोटामिया के
लोग मुख्य रूप से गेहूं एवं जौ की खेती करते थे , कृषि कार्य दासों द्वारा करवाये जाते थे । मिस्र एवं सिन्धु सभ्यताओं
के साथ मेसोपोटामिया सभ्यता का व्यापार उन्नत अवस्था में था। मेसोपोटामिया वासियों के तीन प्रमुख देवता थे
अनु, एनलिन और एनकी जो क्रमशः वायु, पृथ्वी , तथा जल का निरूपण करते थे । मेसोपाटामिया वासियों ने विश्व में
सर्वप्रथम सीसे का आविष्कार किया । मेसोपाटामिया का सबसे प्रतापी शासक हम्मूराबी था । हम्मूराबी अपने खूँखार
विधि संहिता के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें वह खून के बदले खून के सिद्धान्त को मानता था। 1902 ई. में ईलम एवं सूसा
नगरों के उत्खननन से प्राप्त उपर्युक्त विधि साहिंता लूबर संग्रहालय (पेरिस) में रखी हुई थी। मेसोपोटामिया में वस्तु
विनिमय तथा सूद पर लेने – देन की प्रथा प्रचलन में थी। सुमेरिया के राजा को पटेसी कहा जाता था। सर्वप्रथम लेखन
– कला का विकास सुमेरिया में 4000 ई. पू. से भी पहले हुआ । सुमेर निवासियों ने ही 60 मिनट का 1 घंटा और 60
सेकण्ड का एक मिनट की समय की सूइयाँ सबसे पहले आरम्भ की । मेसोपोटामिया वासियों को सूर्य, चन्द्रमा,
तारगण तथा नक्षत्रों आदि का वैज्ञानिक ज्ञान था । वे चन्द्रमा के कृष्ण एवं शुल्क पक्षों से भी परिचित थे तथा वे ग्रहणों
का ठीक – ठीक समय बता सकते थे ।
बाद में रोम वालियों ने इस प्रथा के आधार पर नक्षत्रों के नाम शुक्र, वृहस्पति , बुद्ध एवं शनि रखे । मिस्र की सभ्यता का
उदय लगभग 5000 ई. पू. में अफ्रीका के उत्तरी भाग में नील नदी की घाटी में हुआ था। महान इतिहासकार हेरोडोट्स
(यूनानी) द्वारा मिश्र की नील नदी की देन कहा गया । मिश्र की सभ्यता का पता सर्वप्रथम 1798 ई. में फ्रांस के महान
सम्राट व विजेता नेपोलियन बोनापार्ट ने लगाया । मिस्र की सभ्यता का क्रमबद्ध इतिहास हमें 34000 ई. पू. से मिलता
है । 332 ई. पू. में यूनान के प्रसिद्ध यौद्धा सिकन्दर ने मिश्र की जीत लिया । इस काल तक मिस्र में 31 राजवंशों ने
शासन किया । नोमार्क राजा फराओं के अधीन कार्य करते थे । मिस्र की सभ्यता के समाज में राज- परिवार, पुरोहित
तथा कृषक सबसे निम्न श्रेणी में आते थे , इस समाज में महिलाओं की स्थिति अच्छी थी। सौर पन्चांग मिस्रवासियों
की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है । मिस्रवासियों को गणित एवं चिकित्सा शास्त्र का पर्याप्त ज्ञान था , परन्तु वे
शल्य चिकित्सा से अनभिज्ञ थे । प्राचीन मिस्र की एक अन्य आश्चार्यजनक उपलब्ध स्फिंक्स है , इसका निर्माण
पिरामिड युग (35000-25000 ई. पू.) में हुआ ।

1818 ई. में सर्वप्रथम कैप्टन कैविंगलियन ने स्फिंक्स की खोज की । प्लेटो ने ही रिपब्लिक की रचना की थी। सुकरात
का शिष्य प्लेटो भी राजनीतिशास्त्र का पिता के नाम से जाना जाता है । विश्व में सर्वप्रथम कागज तथा भूकम्प का पता
लगाने वाले यन्त्र का आविष्कार चीनी सभ्यता के अन्तर्गत ही हुआ । विश्व में सर्वप्रथम सिक्कों का प्रचलन भी चीन में
हुआ था। सूर्य एवं चन्द्र दोनों पर आधारित एक पन्चांग का निर्माण चीनियों ने किया । विश्व में सर्वप्रथम चाय एवं
रेशम का प्रयोग चीन में हुआ । चीन पहुँचने वाला प्रथम विदेशी यात्री मार्को पोलों था । बौद्ध धर्म का हान शासक चिंगती
के शासनकाल में चीन में प्रवेश हुआ । चीन के सम्राट वू-ती ने सार्वाजनिक पदों पर नियुक्ति हेतु विश्व में पहली बार
प्रतियोगी परीक्षा की पद्धति चीन में लागू की । सर्वप्रथम छापाखाना का आविष्कार चीन में हुआ । कुतुबुनुमा
(दिशासूचक यन्त्र ) का आविष्कार भी चीन में हुआ था। ताश एवं पतंगबाजी का प्रचलन सर्वप्रथम चीन में हुआ था। 365
1/4 दिन का 1 वर्ष की गणना सर्वप्रथम चीन में आरम्भ हुई । विश्व में गोला – बरूद का प्रथम प्रयोग चीन में ही हुआ ।
मंंगोल आक्रमण से रक्षा के लिए चीनी शासक शी – हूँआग टी ने लगभग 8000 किमी. लम्बी एवं 6 मीटर चौडी़
चीन की महान दीवार का निर्माण करवाया । महानतम दार्शनिक कन्फ्यूशियस ने चीन में एक नया धर्म आरम्भ किया
। पैगोड़ा (बौद्ध मन्दिर) चीन से ही सम्बन्धित है । चीन में तांग-यूग कवियों के युग के नाम से जाना जाता है । रोम
नगर का उदय टाइबर नदी के दक्षिण में लैटियम जिले में लगभग 753 ई. पू. में हुआ । प्राचीन रोम के समाज में दो
वर्ग थे पैट्रिशियन एवं प्लेबियन । जूलियस सीजर रोमन साम्राज्य का विश्व विख्यात शासक हुआ । रोम के स्वर्णयुग
के नाम से जूलियस सीजर ने भतीजे अगस्टस सीजर का कार्यकाल जाना जाता था।
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