आइये जानते है आज का सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक भारत में बौद्ध धर्म का इतिहास से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्न जो प्रतियोगी
परीक्षाओं में इस अध्याय से प्रश्न पूछे जाते है ये प्रश्न आने वाले सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है ।
भारत में बौद्ध धर्म का इतिहास

बौद्ध धर्म के संस्थापक कौन थे – गौतम बुद्ध
गौतम बुद्ध का जन्म 563 ई.पू. में कपिलवस्तु के लुम्बिनी वन नामक स्थान पर हुआ था।
इनके पिता का नाम शुद्धोधन तथा माता का नाम मायादेवी अथवा महामाया (जो कोलिय गणराज्य की कन्या थी) था।
गौतम बुद्ध के जन्म के कुछ दिन बाद इनकी माता की मृत्यु हो गई थी। अतः इनका लालन-पालन इनकी मौसी प्रजापति गौतमी ने किया था।
गौतम बुद्ध के पुत्र का नाम क्या था – राहुल था।
सांसारिक दुःखों से व्यथित होकर सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की अवस्था में गृहत्याग कर दिया इस घटना को महाभिनिष्क्रमण के नाम से जाना जाता है।
गौतम बुद्ध के बचपन का नाम क्या था – सिद्धार्थ
गृहत्याग के पश्चात सिद्धार्थ ने वैशाली के आलारकलाम से सांख्य दर्शन की शिक्षा ग्रहण की थी।
गौतम बुद्ध उरुवेला में बिना अन्न, जल ग्रहण किए 6 वर्ष की कठिन तपस्या के बाद 35 वर्ष की आयु में वैशाख की
पूर्णिमा को निरंजना नदी के किनारे पीपल वृक्ष के नीचे इन्हें ज्ञान (निर्माण) की प्राप्ति हुई थी।
गौतम बुद्ध को ज्ञान के पश्चात सिद्धार्थ बुद्ध कहलाए तथा जहाँ उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ वह स्थान बौद्ध गया के नाम से
जाना जाता है।
प्रथम उपदेश को बौद्ध ग्रन्थों में धर्मचक्रपवर्तन कहा गया है।
महात्मा बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ के ऋषिपत्तनम् में दिया था।
बुद्ध ने अपना उपदेश जनसाधारण की भाषा पालि में दिया उन्होंने अपने सर्वाधिक उपदेश कोशल की राजधानी श्रावस्ती में दिए।
483 ई.पू. में कुशीनगर जिले के कुशीनारा नामक स्थान पर 80 वर्ष की आयु में इनकी मृत्यु हो गई थी।
गौतम बुद्ध मृत्यु की घटना को हम महापरिनिर्माण के नाम से जाना जाता है।
बौद्ध संघ में प्रवेश लेने को क्या कहा जाता है उपसम्पदा
बुद्ध, धम्म और संघ को बौद्ध धर्म में त्रिरत्न कहा गया है।
चतुर्थ बौद्ध संगीति के बाद बौद्ध धर्म दो भागों में हीनयान, एवं महायान में विभाजित हो गया था।
बुद्ध ने सांसारिक दुःखों के संबंध में चार आर्य सत्यों का उपदेश दिया है आइये जानते है
1.दुःख 2. दुःख समुदाय 3. निरोध 4. दुःख निरोध
बौद्ध धर्म, जैन धर्म के समान अनीश्वरवादी है।
जातक कथाओं में भगवान बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथाएँ वर्णित किया गया है।
संघ में स्त्रियों का प्रवेश वर्जित था, किन्दु आनंद के अनुरोध पर संघ में स्त्रियों के भी प्रवेश की अनुमति दी गई थी।
संघ में प्रवेश करने वाली प्रथम स्त्री महात्मा बुद्ध की विमाता प्रजापति गौतमी थी।
कालांतर में महायान को दो भागों में बाटा गया शून्यवाद को माध्यमिक भी कहा जाता है और विज्ञानवाद को योगाचार भी कहा जाता है में विभाजित हो गया था।
शून्यवाद के प्रवर्तक नागार्जुन को कहा जाता है।
जैन धर्म के भगवती सूत्र और बौद्ध ग्रंथ में अंगुत्तर निकाय में 16 महाजनपदों का उल्लेख मिलता है।
आइये जानते है महाजनपदों का उदय
महाजनपद | राजधानी | वर्तमान स्थिति |
अंग | चंपा | भागलपुर (बिहार) |
अवन्ति | उज्जैन/महिष्मती | मालवा (मध्य प्रदेश) |
शूरसेन | मथुरा | मथुरा (उत्तर प्रदेश) |
काशी | वाराणसी | वाराणासी के आस पास |
कोशल | श्रावस्ती /साकेत | अयोध्या (उत्तर प्रदेश) |
कुरू | इंद्रप्रस्थ | दिल्ली, मेरठ एवं हरियाणा के आस पास |
कंबोज | हाटक/राजपुर | राजौरी (दक्षिण-पश्चिम कश्मीर) |
अश्मक | पोटिल/पोतन | गोदावरी नदी क्षेत्र |
चेदि | शक्तिमती | बुंदेलखंड (उत्तर प्रदेश) |
पांचाल | अहिच्छत्र/कम्पिल्य | बरेली, बदायूँ (उत्तर प्रदेश) |
वज्जि | वैशाली/विदेह | मुजफ्फरपुर एवं दरभंगा |
वत्स | कौशाम्बी | प्रयागराज |
मगध | गिरव्रज/राजगृह/पाटलिपुत्र | पटना (बिहार) |
मत्स्य | विराटनगर | जयपुर (राजस्थान) |
मल्ल | पावा तथा कुशीनगर | देवरिया (उत्तर प्रदेश) |
गांधार | तक्षशिला | रावलपिंडी एवं पेशावर (पाकिस्तान) |
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