भारत की अर्थव्यवस्था

आइये हम देखते है कि भारत की अर्थव्यवस्था और भारत की अर्थव्यवस्था कैसी है  भारतीय अर्थव्यवस्था का अर्थ क्या है और ये भी जानगे कि भारतीय अर्थव्यवस्था का परिचय क्या है

परिचय ( Introduction)

वस्तुओं के उत्पादन, उपभोग तथा समाज के आर्थिक क्रियाकलापों के वैज्ञानिक विश्लेषण का अध्ययन अर्थशास्त्र (Economics)  कहलाता है।

भारत की अर्थव्यवस्था
भारत की अर्थव्यवस्था

अर्थशास्त्र की विषय वस्तु को पाँच भागों में बाँटा जाता है।

  1. उपभोग(Consumption)-

मनुष्य के आवश्यकताओं की संन्तुष्टि के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं का प्रत्यक्ष या अन्तिम  प्रयोग ही उपभोग है।

इस विभाग के अन्तर्गत मनुष्य की आवश्यकताओं, उनकी सन्तुष्टि तथा इनसे सम्बन्धित नियमों  का अध्ययन किया जाता है।

2. उत्पादन (Production)-

मनुष्य अपने आर्थिक प्रयास से प्रकृति द्वारा उपलब्ध कराए गए पदार्थों के रूप में या स्थान आदि  में परिवर्तन  लाकर उन्हें अधिक उपयोगी बना देता , उसे  उत्पादन (Production) कहते है।

उत्पादन के द्वरा ही समाज में वस्तुओं (Goods) तथा सेवाओं (Services) का सजृन होता है।

वस्तुएं एवं सेवाएं समाज की आवश्यकताओं को सन्तुष्टि करती है।

अर्थशास्त्र के इस विभाग में उत्पादन के साधनों भूमि (Land),  श्रम (Labour), पूँजी (Capital) , संगठन  (Organisation)  एवं साहस (Dare)  तथा उत्पादन  के तरीकों एवं सिद्धान्तों का अध्ययन किया जाता है।

3. विनियम (Exchange)

वस्तुओं के क्रम-विक्रय एवं उनके पारस्परिक आदान-प्रादन को विनियम (Exchange) कहा जाता है।

वर्तमान  समय में वस्तुओं  एवं सेवाओं का विनियम अप्रत्यक्ष रूप से मुद्रा (Currency) के माध्य से होता है।

इस विभाग के अन्तर्गत बाजार-मूल्य निर्धारण मुद्रा तथा व्यापार (Trade) से सम्बन्धित अध्ययन किया जाता है।

4. वितरण (Distribution)

वर्तमान युग में उत्पादित संपत्ति का उत्पादन के सभी साधनों में आनुपातिक विवरण (Proportionate Distribution) किया जाता है।

अर्थशास्त्र  के इस विभाग के अन्तर्गत संयुक्त उत्पादन के बँटवारे से सम्बन्धित सिद्धान्तों  एवं समस्याओं का अध्ययन होता है।

5. राजस्व (Public Finance)

उत्पादन का कार्य केवल व्यक्ति या निजी संस्थाओं ही नही वरन् राज्य या सरकार भी करती है।

सरकार को अपने आर्थिक क्रियाकलापों के सम्पादन के लिए धन की आवश्यकता होती है।

इसके अन्तर्गत सरकार की आय, व्यय तथा ऋण सम्बन्धी समस्याओं का अध्ययन करते हैं।

अर्थव्यवस्था (Economy)

वह प्रणाली है, जिसके तहत् किसी देश या समाज के सदस्य अपना  जीविकोपार्जन करते हैं।

अर्थव्यवस्था तीन प्रकार की होती है। 

  1. समाजवादी अर्थव्यवस्था (Socialistic Economy)
  2. पूँजीवादी अर्थव्यवस्था (Capitalistic Economy)
  3. मिश्रित अर्थव्यवस्था ( Mixed Economy)

समाजवादी अर्थव्यवस्था (Socialistic Economy)

समाजवादी अर्थव्यवस्था में उत्पादन के सांधनों  पर समाज अर्थात् सरकार  का नियन्त्रण  रहता है।

इस अर्थव्यवस्था मे नियोजन (Planning) को आर्थिक विकास का आधार बनाया जाता है।

इस प्रकार  की अर्थव्यवस्था में वर्ग संघर्ष ( Class Struggle) की संभावना नहीं के बराबर  रहती है।

वर्ग संघर्ष  एवं विभिन्न प्रकार  के सार्वजनिक शोषण खत्म करना इस व्यवस्था का प्रमुख उद्देश्य है।

पूँजीवादी अर्थव्यवस्था ( Capitalistic Economy)

पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में उत्पादन निजी हाथों में रहता है।

इस अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियों निजी लाभ के लिए नियोजित की जाती है।

इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में नियोजन के स्थान  पर मूल्य तन्त्र की प्रधानता रहती है।

वर्तमान में विश्व में प्रचलित बाजार व्यवस्था (Market Economy) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का ही  एक  रूप है।

पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में वर्ग संघर्ष (Class Struggle) की सम्भावना रहती है।

बाजार अर्थव्यवस्था में भी उत्पादन के साधनों पर उत्पादक का स्वामित्व होता है।

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मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy)

पूँजीवादी एवं समाजवादी व्यवस्था के बीच का रास्ता निकालने हुए केंस ने मिश्रित  अर्थव्यवस्था  की अवधारणा  प्रस्तुत की।

मिश्रित अर्थव्यवस्था में समाजवादी  एवं पूँजीवादी  दोनों प्रकार की अर्थव्यवस्थाओं  के तत्व शामिल रहते है।

भारत मिश्रित अर्थव्यवस्था  का सर्वोत्तम उदाहरण है।

मिश्रित अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों  का सह-अस्तित्व होता है।

मिश्रित अर्थव्यवस्था को चार क्षेत्रों में विभाजित किया गया है

  1. सार्वजनिक क्षेत्र
  2. संयुक्त क्षेत्र
  3. निजी क्षेत्र
  4. सहकारी क्षेत्र

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