आज के इस अध्याय में हम ब्रिटिश काल में शिक्षा का विकास से प्रतियोगी परीक्षाओं में इस अध्याय से भी प्रश्न पूछे जाते है
तो आइये जानते है ब्रिटिश काल में शिक्षा का विकास कैसा हुआ और उनका वर्णन भी करेगें ।
ब्रिटिश काल में शिक्षा का विकास

विलियम जोंस ने 1784 ई. में वाराणसी में हिंदू कानून और दर्शन हेतु संस्कृत कॉलेज की स्थापना की थी।
लॉर्ड वेलेजली ने 1800 ई. में कंपनी के असैनिक अधिकारियों की शिक्षा के लिए फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की ।
लॉर्ड मैकाले ने 1835 ई. में स्मरणार्थ लेख प्रस्तुत किया ,जिसमें भारतीय भाषा एवं साहित्य की आलोचना तथा आंग्ल -भाषा एवं साहित्य
की प्रशांसा की गई थी।
चार्ल्स वुड के डिस्पैच को 1854 ई. में भारतीय शिक्षा का मैग्नाकार्टा कहा जाता है ।
लॉर्ड कर्जन के काल में कृषि और पुरातत्व विभाग की स्थापना की गई थी।
ब्रिटिश रेजीडेंट जोनाथन डंकन ने 1791 ई. में वाराणसी में हिंदू कानून और दर्शन हेतू संस्कृत कॉलेज की स्थापना की थी ।
कलकत्ता विश्वविद्यालय आयोग अथवा सैडलर आयोग का गठन वर्ष 1917 में किया गया था।
महिलाओं की शिक्षा पर सरकारी स्तर पर पहली बार वुड डिस्पैच में व्यवस्था की गई । हंटन कमीशन तथा सैडलर कमीशन की रिपोर्ट में भी स्त्री शिक्षा को बढ़ावा देने का सुझाव दिया गया ।
लंदन विश्वविद्यालय के आधार पर वृुड के डिच्पैच में कलकत्ता, बम्बई और मद्रास प्रेसीडेंसियों में विश्वविद्यालय की स्थापना का सुझाव दिया गया था।
राधाकृष्णन आयोग 1948 के सुझावों पर भारत सरकार ने वर्ष 1953 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना की ।
महिला शिक्षा की दिशा में प्रथम भारतीय प्रयास ब्रह्रा समाज ने किया था।
भारत में भारतीय लोक सेवा का गठन कार्नवालिस ने किया था। इसलिए उन्हें भारतीय लोक सेवा का जनक माना जाता है।
सार्जेट योजना वर्ष 1944 में प्रस्तुत की गई थी।
शिक्षा का विकास पर रिपोर्ट देने हेतु हार्टोग समिति का गठन वर्ष 1929 में फिलिप हार्टोग की अध्यक्षता में किया गया था।
इस समिति की सिफारिश पर वर्ष 1935 में केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड का पुनर्गठन हुआ ।
पहली बार कंपनी सरकार द्वारा 1813 ई. के चार्टर एक्ट में भारतीय शिक्षा पर एक लाख रू. खर्च करने का प्रावधान किया गया था।
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