प्राचीन भारत का इतिहास और इतिहास अध्ययन के स्रोत

परिचय एवं परिभाषा ( Introduction & Definition)
- इतिहास के अंतर्गत हम जिस विषय का अध्ययन करते हैं, उसमें अब तक घटित घटनाओं या उससे संबंध रखनेवाली घटनाओं का कालक्रमानुसार वर्णन होता है।
- दूसरे शब्दों में मानव की विशिष्ट घटनाओं का नाम ही इतिहास है।
- 4.8 अरब वर्ष पूर्व पृथ्वी की उत्पत्ति पुराजीवी महाकल्प(Palaeojoic Era) मे हुई।
- पुराजीवी महाकल्प में ही 3.5 अबर वर्ष पूर्व पृथ्वी पर जीवन (Life) की उत्पति हुई।
- पृथ्वी पर उत्पन्न हुए प्रथम जीव को बदलने में 72 करोड़ वर्ष लगे।
- ऑस्ट्रेलोपिथेकस ने अपने निवास के लिए घास के मैदानों की तलाश कर ली इसे आधुनिक मानव का आदि पूर्वज कहा जाता है।
- पृथ्वी पर प्रारम्भिक मानव का आविर्भाव लगभग 42 लाख वर्ष पूर्व नूतनजीवी महाकल्प के अत्यन्त नूतन यूग (Pleistocene) में हुआ।
- पृथ्वी की सम्पूर्ण भू-वैज्ञानिक सारणी महाकल्पों(Eras) में विभाजित है।
- आधुनिक मानव होमासेपियंस का आविर्भाव लगभग 50 हजार वर्ष पूर्व नूतनतम यूग (Holocene) में हुआ ।
- मनुष्य के संस्कृति निर्माता पूर्वजों के आविर्भाव (50-80 लाख वर्ष पूर्व) से लेकर अभी तक मानव सभ्यता के क्रमिक विकास का अध्ययन इतिहास (History) के तहत किया जाता है।
-
अध्ययन के स्रोतों के आधार पर इतिहास अध्ययन के कालखण्डों को मोटे तौर पर निम्न तीन संस्कृतियों में बाँटा गया है
- 1. प्रागैतिहासिक संस्कृति (Pre-Historic Culture)
- इस संस्कृति के अध्ययन के लिखित स्रोत उपलब्ध नहीं है।
- इस संस्कृति के अध्ययन के लिए पुरातात्विक स्रोतों (Archaeological Sources) पर निर्भर रहना पड़ता है।
- मोटे तौर पर 50-30 लाख वर्ष पूर्व से ई.पू. 3000 तक का विवरण इस संस्कृति के तहत् किया जाता है।
- 2. आद्य-ऐतिहासिक संस्कृति (Proto-Historic culture) –
- इस संस्कृति के लिखित विवरण तो उपलब्ध है परन्तु उन्हें अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।
- मोटे तौर पर ई. पू. 3000 से ई. पू. 1500 के काल का अध्ययन इस संस्सृति के तहत् किया जाता है।
- इस संस्कृति का विवरण भी पुरातात्विक स्रोतों के आधार पर ही दिया जाता है।
- 3. ऐतिहासिक संस्कृति (Historic Culture) –
- इस संस्कृति के प्रचूर मात्रा में लिखित स्रोत उपलब्ध है तथा इन्हें पढ़ा भी जा सका है।
- ई. पू. 1500 से 1947 ई. तक का विवरण इस संस्कृति के तहत् दिया जाता है।
- क्या आप को पता है भारतीय संविधान का इतिहास जानने के लिए Click here
-
प्राचीन भारतीय इतिहास अध्ययन के स्रोत(Sources of Ancient Indian History)
- भारतीय इतिहास का तिथिवार विवरण सिकन्दर के आक्रमण (ई.पू. 326) से प्राप्त होता है।
- भारत में क्रमबद्ध इतिहास का निर्माण मौर्य काल के आरम्भ से ही सम्भव है, इससे पूर्व की तिथियाँ आनुमानित है।
- भारत में विधिवत रूप से इतिहास लिखने का कार्य ईस्ट इण्डिया कम्पनी (E I C) की प्रभुता स्थापित होने के बाद आरम्भ हुआ।
- प्राचीन भारतीय इतिहास अध्ययन के मुख्य रूप से तीन स्रोत है-
- 1. पुरातात्विक स्रोत (Archaeological Sources)
- 2. साहित्यिक स्रोत (Literary Sources)
- 3. विदेशियों के यात्रा-वृतांत (Journey Accounts of Foreigners)
-
पुरातात्विक स्रोत (Archaeological Sources)
- पुरातात्विक स्रोतों के तहत् उत्खन्न से प्राप्त सामग्री, सिक्के एवं अभिलेख, चित्रकला एवं मूर्तियाँ, स्मारक तथा भवन आते है।
- पुराने टीलों का क्रमिक स्तरों में विधिवत उत्खनन कर प्राचीन काल के भौतिक जीवन की जानकारी पुरातत्व विज्ञान (Archaeology) के तहत की जाती है।
- जीवाश्मों (Fossils) की प्राचीनता का निर्धारण रेडियो कार्बन (C14) पद्धति से होता है ।
- नोट- (C14) की अर्द्ध-आयु (Half-life) 5568 वर्ष होती है
- निर्जीव वस्तुओं के अवशेषों की प्राचीनता यूरेनियम डेटिंग से ज्ञात की जाती है।
- रेडियोएक्टिव तत्व रूबिडियम की विखण्डन विधि से चट्टानों(Rocks) की आयु का पता लगाया जाता है।
- उत्खनन के दौरान विभिन्न प्रकार के प्राचीन सिक्के प्राप्त होते है, इतिहास के निर्माण में ये अत्यन्त सहायक है।
- सिक्कों का अध्ययन न्यूमिजमेटिक्स (Numismatics) के तहत किया जाता है।
- शिलालेखों से सम्बन्धित अध्ययन एपिग्राफी (Epigraphy) के अन्तर्गत किया जाता है।
- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन के लिए सर्वाधिक प्राणाणिक स्रोत अभिलेखों(Inscriptions) को माना जाता है।
- भारत में ऐतिहासिक स्थलों की खुदाई का कार्य 1901 ई. में सर्वप्रथम जॉन मार्शल ने आरंभ किया।
- भारत में प्राप्त अभिलेखों में सिन्धु सभ्यता के अभिलेख सबसे पुराने है, परन्तु उन्हें अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।
- अपने यथार्थ में अभिलेख सर्वप्रथम मौर्य शासक अशोक के शासनकाल में मिलते है।
- अभिलेखों द्वारा जनता को संदर्भ देने की प्रेरणा अशोक ने सम्भवतः ईरानी शासक डैरियस-। ग्रहण की थी।अभी तक अशोक के लगभग 40 अभिलेख प्राप्त हुए है।
- अशोक के अधिकांश अभिलेखों की लिपि ब्राह्री है।
- ब्राही लिपि को पढ़ने में सर्वप्रथम जेेम्स प्रिंसेप को 1837 ई. में सफलता मिली।
- प्रमुख संवत्
-
शक संवत् 78 ई. से विक्रम संवत् 57 ई.पू. से गुप्त संवत् 319 ई. से हिजरी संवत् 622 ई. से इलाही संवत् 1583 ई. से - भारत में शक, बैक्ट्रियन तथा इंडो-पार्थियन आदि राजवंशों के इतिहास की जानकारी के एकमात्र स्रोत सिक्के है।
- भारत में सर्वप्रथम स्वर्ण-सिक्के जारी करने का श्रेय इंडो-यूनानी (Indio-Greeks) शासकों को जाता है।
- समुद्रगुप्त के सिक्कों पर अश्वमेद्य यज्ञ एवं उसकी वीणा बजाते हुए तस्वीर उत्कीर्ण है।
-
भारतीय पुरातत्व सर्वेश्रण(ASI) एवं उसके द्वारा हाल में खोजे गए महत्वपूर्ण स्थल
- पुरातत्व का संबंध मानव संस्कृतियों से हैं।
- इसके अन्तर्गत पूर्वकालिक संस्कृति व सभ्यताओं के अवशेषों का उत्खन्न, अध्ययन, समीक्षा, संरक्षण तथा प्रलेखन किया जाता है।
- नोट- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का मुख्यालय – नई दिल्ली में है।
- स्वततन्त्रा प्राप्ति के उपरान्त भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा खोजे गये महत्वपूर्ण स्थल निम्नवत् है
-
1. पुरैतिहासिक व आद्यौतिहासिक काल (Pre & Proto-Historic Periods)
-
खोज स्थान
-
भीमबेटका मध्य प्रदेश डिंडवाना राजस्थान हिरणघाटी गुजरात सोन घाटी मध्य प्रदेश नेवासा महाराष्ट्र आदमगढ़ मध्य प्रदेश बागोर, तिलवाड़ा राजस्थान येदुरवाड़ी कर्नाटक 2. सिन्धु सभ्यता काल (Period of Indus Civilisation)
-
खोज स्थान धौलवीरा कच्छ ,गुजरात लोथल अहमदाबाद, गुजरात कालीबंगा हनुमानगढ़, राजस्थान राखीगढ़ी हिसार, हरियाणा वणवाली हिसार, हरियाणा रंगपुर कच्छ, गुजरात सुरकोटडा कच्छ, गुजरात भिरना फतेहाबाद, हरियाणा इसी जैसी और भी बेहतरीन जानकारी के लिए विजिट करते रहिए www.magkgs.com पर