आर्य समाज Arya Samaj

आज के इस अध्याय में हम आर्य समाज Arya Samaj के बारे मे जानगे और इससे सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्न के बारे में अध्यान करेंगे।

इस अध्याय में केवल आर्य समाज से ही प्रश्न होंगे।

आर्य समाज Arya Samaj

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आर्य समाज की स्थापना बंबई में 1875 ई. में की गई थी।

स्वामी दयानन्द सरस्वती आर्य समाज के संस्थापक थे।

स्वामी दयानन्द सरस्वती का जन्म मौरवी (काठियावाड़, गुजरात में 1824 ई. में हुआ था, उनके  बचपन का नाम मूल

शंकर था।

उनका निधन अजमेर में 1883 ई. मे हुआ।

स्वामी दयानन्द ने स्वामी विरजान्द जो मथुरा से है स्वामी दयानन्द जी ने वेद एवं हिन्दू दर्शन की शिक्षा ग्रहण की थी।

स्वामी दयानन्द ने अपना प्रथम उपदेश कहाँ आगरा दिया था ।

इनकी प्रसिद्ध पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश नामक रचना की है।

गुजरात में मेहता राम जी संचाराम ने 1844 ई.में मानव धर्मसभा तथा यूनीवर्सल रिलिजंस सोसायटी की स्थापना की ।

वेद समाज की स्थापना का श्रेय के.के. श्रीधरालु नायडू को है।

1971 ई. में  के.के. श्रीधरालू नायडू ने वेद समाज को पुनर्गठित किया तथा एक नये संगठन ब्रह्रा समाज ऑफ साऊथ

इंडिया की स्थापना की।

दक्षिण भारत में प्रार्थना समाज के प्रसार का सर्वाधिक श्रेय वीरेसलिंगम् पंतुलू को है।

स्वामी दयानन्द ने 1882 ई. में गोरक्षिणी सभाओं की स्थापना की थी।

वेदों की ओर लौट चलो (Go back to Vedas) का नारा  स्वामी दयानन्द जी ने दिया था।

स्वामी दयानन्द का मानना था बुरे से बुरा देशी राज, अच्छे-से-अच्छे विदेशी राज से बेहतर होता है।

स्वामी दयानन्द ने स्वदेशी एवं राजनीतिक स्वतन्त्रता के परिप्रेक्ष्य में India for Indians  का नारा दिया है।

शिक्षा के प्रसार के लिए 1886 ई. में आर्य समाज द्वारा लाहौर में दयानन्द-द -एंग्लो वैदिक स्कूल की स्थापना की गई।

भविष्य के सम्पूर्ण देश में DAV स्कूलों की श्रृंखला स्थापित हुई।

दयानन्द एंग्लो वैदिक स्कूल  में 1889 ई. में तब्दील हो गया था।

आर्य समाज ने मूर्ति-पूजा, बहुदेववाद, अवतारवाद, पशुबलि, श्राद्ध, झूठे कर्मकाण्ड आदि का विरोध किया।

1902 ई. में स्वामी श्रद्धानन्द ने हरिद्वार के समीप गुरूकुल कांगड़ी की स्थापना की थी।

 

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