हिन्दी का एक महत्वपूर्ण टॉपिक अलंकार PDF, अंलकार के भेद , अलंकार कितने प्रकार के होते है। इस अध्याय में कंप्लीट अलंकार के
बारे में जानगे है। इस अध्याय से भी प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते है।
अलंकार PDF
अलंकार की परिभाषा – अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है आभूषण जिस प्रकार स्वर्ण आदि के आभूषण पहनने से शरीर की शोभा बढ़ाते है , उसी प्रकार काव्य अलंकारों से काव्य की शोभा बढ़ती है।
तीन प्रकार के होते है
1.शब्दालंकार 2. अर्थालंकार 3. उभयलंकार
शब्दालंकार – जहाँ पर शब्दों के आधार पर चमत्कार उत्पन्न होता है वहाँ पर शब्दालंकार होता है ।शब्दालंकार निम्न प्रकार के होते है।
अनुप्रास अलंकार , यमक अलंकार, श्लेष अलंकार
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा – जहाँ पर एक ही वर्ण की आवृत्ति बार –बार हो वहाँ अनुप्रांस अलंकार होता है।
उदाहरण – कुल कानन कुंडल मोर पखा, उर पे बनमाल बिराजति है।
इस काव्य पंक्ति में क वर्ण की आवृत्ति तीन बार व ब वर्ण की दो बार आवृत्ति होने से चमत्कार आ गया है।
तरनि तनुजा तट तमाल तरुवर बहु छाए मे त वर्ण की आवृत्ति बार बार हुई है।
अनुप्रास अलंकार के भेद /प्रकार
ये 5 प्रकार के होते है।
छेकानुप्रास अलंकार
वृत्यानुप्रास अंलकार
लाटानुप्रास अलंकार
अन्तानुप्रास अंलकार
श्रुत्यानुप्रास अंलकार
अन्तयानुप्रास अलंकार – जहाँ पर पद के अन्त में एक ही वर्ण और स्वर की आवृत्ति हो तो वहाँ पर अन्त्यानुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण – जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीश तिंहु लोक उजागर।।
लाटानुप्रास अंलकार – जहाँ पर पद में समानार्थी शब्दों की आवृत्ति हो परन्तु उनमें कुछ अन्तर हो तो वहाँ लाटानुप्रास अंलकार होता है।
उदाहरण – पूत कपूत तो क्यों धन संचय।
पूत सपूत तो क्यों धन संचय।।
यमक अलंकार – जहाँ पर एक शब्द दो या दो से अधिक बार आये और उसका अर्थ प्रत्येक जगह अलग-अलग हों तो वह यमक अलंकार कहलाता है।
उदाहरण – काली घटा का घमण्ड घटा
जिसमें काली घटा का अर्थ है – बादल
घटा का अर्थ है – कम होना
तीन बेर खाती थी और तीन बेर खाती है।
जिसमें तीन बेर का अर्थ है – समय
और तीन बेर का अर्थ है – फल
श्लेष अलंकार – जहाँ पर एक शब्द के कई अर्थ हो वहाँ पर श्लेष अलंकार होता है।
उदाहरण – रहिमन पानी राखिये , बिन पानी सब सून।
पानी गये न उबैर, मोती मानुष चून।।
अर्थालंकार – जहाँ पर अर्थ के आधार पर चमत्कार प्रकट हो वह अर्थालंकार कहलायेगा।
उपमा अलंकार – उपमां अलंकार दो शब्दों से मिलकल बना है – उप (समीप) + पा ( तोलना / तुलना )
अतः जब दो भिन्न वस्तुओं में समान धर्म के कारण समानता दिखायी जाती है तब वहाँ उपमा अलंकार होता है।
पहचान – वाचक शब्द सा, सी, समु सरिस, सदृश्य, ज्यो त्यों
उपमेय – जिसकी उपमा की जाये वह उपमेय कहलाती है। उपमान – जिससे उपमा की जाये वह उपमान कहलाता है।
जैसे – कर कमल सा कोमल है।
उत्प्रेक्षा अलंकार – जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना व्यक्त की जाये या वर्णन हो तो वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
पहचान – मनु, मनहू, मानौं , जनु, जानहु , जानौ
अतिश्योक्ति अलंकार – जहाँ पर किसी बात का वर्णन बहुत बढ़- चढ़ा कर किया जाये वहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होती है।
उदाहरण – हनुमान की पूँछ में लग ना पाई आग।
और लंका सगरी चल गयी और गये निशाचर भाग।।
रुपक अलंकार – जहाँ उपमेय में उपमान का भेद रहित या निषेध रहित आरोप हो वहाँ रुपक अलंकार होता है।
उदाहरण – चरण कमल बंदौहरि राई
विभावना अलंकार – जहाँ कारण के बिना ही कर्म को किया जाता है वहाँ पर विभावना अलंकार होता है।
उदाहरण – बिनु पग चलै, सुनै बिनु काना।
कर बिनु करम, करै विधि नाना।
मानवीकरण अलंकार – जहाँ मानव जैसे रूप या चेतना का आरोप निर्जीव या अमूर्त पदार्थों में किया जाये वहाँ पर मानवीय अलंकार होगा।
उदाहरण – दिवसावसान का समय, मेघमय आसमान से उतर रही।
वह संध्या सुन्दर परी सी, धीरे-धीरे-धीरे।
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